कैसे आयुर्वेद बीमार किडनी को ठीक कर सकता है - How Ayurveda Can Heal a Sick Kidney

किडनी को शरीर का फिल्टर माना जाता हैं, क्योंकि ये हमारे शरीर में मौजूद टॉक्सिन को बाहर निकालने का काम करती है और यह शरीर का बहुत ही महत्वपूर्ण अंग है। किडनी का मुख्य काम शरीर में मौजूद ब्‍लड की सफाई करना है। हमारी दोनों किडनी में छोटे-छोटे लाखों फिल्टर होते हैं जिन्हें मेडिकल भाषा में नेफ्रोंस कहा जाता है। नेफ्रोंस हमारे ब्‍लड को साफ करते हैं, साथ ही ब्‍लड में मौजूद हानिकारक तत्व यूरिन के ज़रिये शरीर से बाहर कर देते हैं। किडनी के अन्य कामों में रेड ब्‍लड सेल्‍स का बनना और फायदेमंद हार्मोंस रिलीज करना शामिल हैं।

किडनी द्वारा रिलीज किए गए हार्मोंस द्वारा ब्लड प्रेशर कंट्रोल होता है। साथ ही किडनी हमारे शरीर में मौजूद हड्डियों को विटामिन डी पहुंचाने का काम भी करती है। इसके अलावा शरीर में पानी और अन्य जरूरी तत्व जैसे मिनरल्स, सोडियम, पोटेशियम और फॉस्फोरस का ब्‍लड में बैलेंस बनाए रखने में किडनी का जरूरी योगदान होता है। इसलिए किडनी की अच्‍छे से देखभाल करनी चाहिए।

डायलिसिस और किडनी ट्रासप्लांट, किडनी का स्थायी उपचार नहीं है!

किडनी रोगी को सबसे पहले इस बात को समझना चाहिए कि डायलिसिस या किडनी ट्रांसप्लांट, किडनी को ठीक करने स्थायी उपचार नहीं| जब किडनी रोगी की किडनी खराब हो जाती है या संक्रमण बढ़ने के कारण किडनी ठीक से काम नहीं कर पाती तो इसके लिए डायलिसिस की जरूरत पड़ती है डायलिसिस रक्त को शुद्धिकरण करने का एक माध्यम है किडनी को ठीक करने का उपचार नहीं क्योंकि अधिकतर किडनी रोगियों को लगता है कि मात्र डायलिसिस करवाने से किडनी की खराबी ठीक हो जाएगी ऐसा बिलकुल भी नहीं है| एक समय के बाद किडनी की खराबी इतनी ज्यादा बढ़ जाती है कि डायलिसिस करवाने से भी रक्त का शुद्धिकरण नहीं हो पाता और डॉक्टर द्वारा किडनी ट्रांसप्लांट की सलाह दी जाती है|

किडनी रोगी को किडनी ट्रांसप्लांट की सही जानकारी नहीं होती है जैसे डॉक्टर द्वारा बताया जाता है रोगी वैसा ही करते हैं क्योंकि किडनी रोगी को उम्मीद रहती है कि किडनी ट्रांसप्लांट करने से क्या पाता किडनी दुबारा से काम करने लगे लेकिन किडनी ट्रांसप्लांट से बाद भी बहुत कम ही संभावना रहती है कि किडनी ठीक से काम करे क्योंकि ज़्यादातर यह पाया गया है कि किडनी ट्रांसप्लांट के बाद भी किडनी ठीक नहीं हो पाती इसलिए किडनी रोगी इस बात स्पष्ट रूप से समझ लेना चाहिए कि डायलिसिस या किडनी ट्रांसप्लांट किडनी उपचार का स्थायी उपचार नहीं है|

आज किडनी की बीमारी बड़ी समस्या बन चुकी है। पिछले कुछ सालों में इस समस्या में तेजी से इजाफा हुआ है। हाल ही में हुई एक स्टडी के अनुसार, देशभर में करीब 14 प्रतिश महिलाएं और 12 प्रतिशत पुरूष किडनी की समस्या जूझ रहे हैं। किडनी की बीमारी इतना विकराल रूप ले चुकी है, बावजूद इसके लोग किडनी से जुड़ी समस्याओं के लक्षण समझ नहीं पाते और डॉक्टर के पास तब जाते हैं, जब तक काफी ज्यादा समय निकल जाता है। लेकिन आपको परेशान होने की जरूरत नहीं क्‍योंकि आयुर्वेद में किडनी की बीमारी का असरदार इलाज संभव है।

आयुर्वेद में डायलिसिस के बिना किडनी का इलाज

जी हाँ, किडनी रोगी बिना डायलिसिस के भी ठीक हो सकते है इसके लिए किडनी रोगी को जरूरत है कि वो किडनी खराबी के शुरुआती चरण में ही आयुर्वेदिक ट्रीटमेंट लेना शुरु कर दे ताकि जल्द से जल्द किडनी की खराबी से बच सके जिससे किडनी रोगी को डायलिसिस करवाने भी जरूरत नहीं पड़ती| किडनी रोगी किडनी के किडनी के उपचार की सही जानकारी नहीं होती उन्हें शुरुआत में पता ही नहीं होता कि किडनी को आयुर्वेदिक उपचार से भी ठीक किया जा सकता है| किडनी रोगी पहले अपना उपचार एलोपैथी ट्रीटमेंट करवाते है और जब उन्हें लगता है कि एलोपैथी दवाइयों से किसी प्रकार का कोई असर नहीं दिख रख तो अंत में किडनी रोगी आयुर्वेदिक उपर लेने शुरू करते है लेकिन तब तक काफी देर हो चुकी होती हैं लेकिन आयुर्वेदिक उपचार एक मात्र एक उपचार हैं जिसमें औषधियों से बीमार किडनी को आसानी से ठीक किया जा सकता है| Ayurvedic Kidney Treatment without dialysis में आयुर्वेदिक औषधि उपचार के साथ संतुलित डाइट प्लान को भी फॉलो करना पड़ता है| जिससे बीमार किडनी को आयुर्वेदिक ट्रीटमेंट से जल्दी ही ठीक किया जा सकता है|

आयुर्वेदिक उपचार के दौरान निम्न बातों का विशेष ध्यान रखें:-

ब्लड प्रेशर और डायबिटीज़ को रखें कंट्रोल:-

हाई ब्लड प्रेशर और डायबिटीज किडनी की बीमारी के दो प्रमुख कारण हैं। किडनी में कई रक्त वाहिकाएं होती हैं। हाई बल्ड प्रेशर और बढ़ता शुगर रक्त वाहिकाओं को नुकसान पहुंचाने वाले रोग किडनी को भी नुकसान पहुंचा सकते हैं। इसलिए किडनी रोगी को आयुर्वेदिक उपचार creatinine treatment in Ayurveda के दौरान ऐसे खादय पदार्थों का सेवन बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए जिससे ब्लड प्रेशर या डायबिटीज़ बढ़ने का खतरा अधिक रहता है| किडनी रोगी को डॉक्टर द्वारा बताई गई डाइट प्लान को ही फॉलो करना चाहिए|

वजन नियंत्रित रखें:-

वजन काबू में रखना आपकी किडनी की सेहत के लिए भी जरूरी है। अधिक वजन होने का मतलब है किडनी को अपशिष्ट पदार्थों को फिल्टर करने और बढ़े हुए शारीरिक द्रव्यमान की मेटाबाँलिज़म की जरूरत को पूरा करने के लिए ज्यादा मेहनत करनी पड़ेगी। मोटापा किडनी की बीमारी के दो प्रमुख जोखिम कारकों, डायबिटीज और उच्च रक्तचाप होने के खतरे को भी बढ़ाता है। इसलिए बीमारी किडनी को ठीक करने के लिए रोगी को बढ़ते वजन को कंट्रोल करना चाहिए और डॉक्टर Ayurvedic Kidney Treatment without dialysis बताई गई एक्सरसाइज़ और डाइट को फॉलो करना चाहिए जिससे किडनी की खराबी को आसानी से ठीक किया जा सके|

धूम्रपान छोड़ दें:-

धूम्रपान किडनी के अलावा किडनी को क्षति पहुंचाने वाली डायबिटीज और उच्च रक्तचाप जैसी बीमारियों की स्थिति को ज्यादा खराब कर देता है। धूम्रपान छोड़ना मुश्किल हो सकता है, लेकिन यह आपकी जीवनशैली से संबंधित सबसे महत्वपूर्ण परिवर्तन होगा, जिससे आप अपनी किडनी की रक्षा कर सकते हैं। इसलिए किडनी की बीमारी से जूझ रहे व्यक्ति को धूम्रपान छोड़ देना चाहिए|

शारीरिक सक्रियता बढ़ाए :-

बीमार किडनी धीरे-धीरे खराब होती है, ऐसे में नियमित शारीरिक सक्रियता से किडनी की बीमारी रोकने में मदद मिलती है। शारीरिक सक्रियता और स्वस्थ आहार लेने से किडनी की बीमारी की आशंका कम हो जाती है।

नमक सीमित मात्र में ही लें:-

किडनी की बीमारी में नमक का सेवन सीमित मात्र में करना चाहिए और बंद डिब्बों में मिलने वाले खाने से बचें क्योंकि बंद डिब्बों या पैकिंग खाने में सोडियम की मात्र अधिक रहती हैं जो आपकी किडनी के लिए काफी नुकसानदायक होता है, क्योंकि बंद डिब्बे खाना खाने से ब्लड प्रेशर तेज़ी से बढ़ता हैं और ये खाना आपकी किडनी को नुकसान पहुंचा सकते हैं। बहुत अधिक सोडियम के इस्तेमाल से ब्लड प्रेशर हाई हो सकता है, इसलिए नमक का सेवन कम करना बेहतर होता है। रोजाना लगभग 1.5 से 2.3 ग्राम नमक का सेवन करना चाहिए।

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